भारत में अब बिजनेस करने वालों को सरकार को कर के रूप में GST देनी होती है। बिजनेस या उद्योग के प्रकार के हिसाब से देश में GST निर्धारित की गई है। GST कानून के तहत 1.5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर बिजनेस से GST बचाने के लिए बिजनेस कंपोजिशन स्कीम (GST Composition Scheme) के तहत आवेदन करना चाहिए। जबकि, कुछ विशेष कैटेगरी वाले राज्यों के लिए यह लिमिट 75 लाख रुपए है। आपको बता दें कि रेस्टोरेंट्स के अलावा सभी सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए 50 लाख रूपये टर्नओवर लिमिट तय की गई है।
इतनी होती है GST रेट
आपको बता दें कि भारत में कंपोजिशन स्कीम के जरिए पात्र करदाताओं को 1 प्रतिशत, 5 प्रतिशत या 6 प्रतिशत की रियायती रेट्स पर GST देनी होती है। वहीं, मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेडिंग, रेस्टोरेंट सर्विसेज या ईंट बनाने जैसे सेक्टर्स के हिसाब से भी जीएसटी की दर निर्भर करती है।
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ये प्रोडक्ट्स हैं कंपोजिशन स्कीम से बाहर
जीएसटी की उपरोक्त कम रेट्स रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत आने वाले लेनदेन पर लागू नहीं होती। ऐसे मामलों में व्यवसायों को सामान्य GST दरों – जैसे 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत अथवा 18 प्रतिशत पर टैक्स चुकाना होता है। सरकार ने जीएसटी काउंसिल के जरिए आइसक्रीम, पान मसाला और तंबाकू जैसी प्रोडक्ट्स को भी कंपोजिशन स्कीम से बाहर रखा हुआ है।
करना होगा इन नियमों का पालन
GST Composition Scheme सलेक्ट करने वालों को कुछ नियमों का पालन करना होता है। इस स्कीम के तहत फॉर्म जीएसटी CMP-08 के जरिए GST का तिमाही पेमेंट करना होता है। यह तिमाही के अगले महीने की 18 तारीख तक देय होता है। साथ ही Form GSTR-4 की फाइलिंग और फायनेंशियल ईयर समाप्त होने के बाद 30 अप्रैल तक इसका पेमेंट करना होता है। फाइलिंग के साथ ही कंपोजिशन डीलरों को अपने व्यावसाय की Locations के नोटिस अथवा साइनबोर्ड पर ‘कंपोजिशन टैक्स योग्य’ के रूप में लेबल लगाना होता है।
ये हैं जीएसटी Composition Scheme की शर्तें
यदि किसी करदाता के पास एक ही पैन के तहत अलग-अलग बिजनेस सेगमेंट्स हैं, तो इस सूरत में उसें सभी को कंपोजिशन स्कीम के तहत रजिस्टर्ड कराना होता है। मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग दोनों बिजनेमैन के लिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि कंपोजिशन स्कीम पैन लेवल पर लागू होती है। इस स्कीम के तहत पात्रता व्यावसाय के प्राइमरी नेचर के आधार पर निर्धारित की जाती है।
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इस बात का भी रखें ख्याल
जीएसटी Composition Scheme का विकल्प सलेक्ट करने वालों को अपने कस्टमर्स से जीएसटी इकट्ठा करने, इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने, अंतर-स्टेट सप्लाई करने, नॉन-टैक्सेबल गुड्स और सर्विसेज की सप्लाई करने और सोर्स पर टैक्स कलेक्ट करने वाले ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के साथ काम नहीं करना होता है। कंपोजिशन डीलर टैक्स इनवॉइस जारी नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें अपने कस्टमर्स से जीएसटी इकट्ठा करने की परमिशन नही दी गई है। इसकी बजाय उन्हें सप्लाई का बिल प्रदान करना होता है।
ये लोग नहीं है कंपोजिशन स्कीम के पात्र
आपको बता दें कि करदाताओं का वार्षिक टर्नओवर लिमिट से ज्यादा है वे कंपोजिशन स्कीम के पात्र नहीं है। आइसक्रीम, पान मसाला या तंबाकू के निर्माता और व्यापारी के साथ ही आम टैक्सपेयर्स या अनिवासी भारतीय करदाता भी इसके पात्र नहीं।