Holi Hasya Sammelan: हंसी के ठहाके और वाह—वाह की गूंज से सरोबार माहौल। एक छोटी सी बात, पाई की अनसुलझी गुत्थी हो या बन समंदर मुझे गले लगाले और फूल बस्ते में कौन रखता है। जैसी हास्य रस से भरी कविताओं के साथ मॉर्निंग न्यूज़ इंडिया के कार्यलय में अद्भुत हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जहां देश के नामचीन कवियों ने अलग—अलग विधाओं से कवि सम्मेलन को होली के रंगों सा रंगीन बना दिया। आमंत्रित कवियों ने होली की ठिठोली करते हुए एक से बढ़कर एक काव्य छंदों की प्रस्तुति दी। रंगों का त्योहार होली की तरह ही कार्यक्रम में शब्दों से होली खेली गई। Hasya Sammelan जिससे कवि सम्मेलन में श्रृंगार, हास्य, प्रेम और विरह के रंगों ने समां बांध दिया। कार्यक्रम का संयोजन अम्बिका शर्मा ने किया। इरफान अली और साया चौहान ने सहयोग किया। कवि सम्मेलन का संचालन कवि किशोर पारीक ने किया।
बात से ही बनेगी बात अबकी बार होली में
Holi Kavi Hasya Sammelan किस्मत वालों को ही होता है प्यार और बात से ही बनेगी बात अबकी बार होली में। प्रेम का रूप उम्र धन से परे है। जैसी कविताओं से माहौल में प्रेम का रस भरने का काम किया डॉ शील ने। प्रेम के रूपों को अपनी कविताओं में पिरो कवयित्री ने फाल्गुन और होली के रंगों की तरह कई रंग मिलाकर कवि सम्मेलन को रंगों से भर दिया। लेखन, प्रकाशन, गीतों संस्कृति की विशेषताओं को दर्शाती कविताओं ने सभी को खूब आनंदित किया। 30 वर्षों से अखिल भारतीय स्तर की कविताओं का पाठ करने वाली डॉ शील ने सभी की खूब वाहवाही पाई।
डॉ सुशीला शील
भारत के बाहर ऐसे मनाई जाती है होली
काश तुम जान पाते कि हमें तुमसे मोहब्बत है
प्रेम का मुझे ता उम्र कर्जदार रहने दो। मुझ पर तेरा ये इश्क यूं ही उधार रहने दो। बड़ा हसीन है ये कर्ज और काश तुम जान पाते कि हमें तुमसे मोहब्बत है। कविता से प्रेम और उसकी बारीकियों को दर्शाते हुए होली पर प्रेम के महत्व को दर्शाया कवयित्री डॉ जोशी ने। प्रेम और होली के रंगों को साथ मिलाते हुए उन्होंने प्रेम और उसकी बारीकियों को अपनी कविता में शब्दों से पिरोया। जिससे काव्य सम्मेलन में प्रेम और उसके मर्म की धारा बही। शिक्षिका होने के साथ डॉ जोशी विभिन्न विधाओं में लेखन का अनुभव रखती हैं। जिसका परिचय उन्होंने अपनी कविताओं से दिया। जिसपर उन्होंने सभी की तालियां बटोरी।
डॉ योगिता जोशी
एक छोटी सी बात एक बड़ी सी बात
“एक छोटी सी बात एक छोटी सी बात” करते करते बड़ा सबक सीखा गए राष्ट्रीय कवि वेद दाधीच। साथ ही अपनी कविताओं में दिग्गज नेताओं पर भी टीका टिप्पणी कर दी। इन्होंने कहा कि खड़गे जी कहते हैं कि दो और दो होते तो चार हैं लेकिन एक बार फिर भी राहुल बाबा से कंफर्म कर लेना। इन्होंने भी पति-पत्नी पर कविता सुनाई। और बताया कि पत्नीजी मोदीजी के स्वच्छता अभियान से कुछ ज्यादा ही प्रेरित हैं तभी घर की तिजोरी भी साफ कर देती हैं खरीदारी के लिए। कवि ने गंजेपन का मखौल बनाते हुए खूब मजाकिया अंदाज में गंजों की तारीफ की। कवि ने कहा कि कहते हैं कि एक गंजा पानी की बचत करता है। गंजे को तीन नामों से संबोधित किया जाता है टकलू, सफाचट और MR. क्लीन।
वेद दाधीच
होलिका अग्नि में इन चीजों को डालने से खुलेगी किस्मत
भीगे क्यों न चूनर चोली श्री राधे “श्री राधे श्री राधे”
“श्री राधे श्री राधे” करते हुए अपनी सारी बातें कह दी राष्ट्रीय कवि किशोर पारीक ने। वो कहते हैं ना जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि। तो बस इसी बात को धरातल पर लाते हुए किशोर पारीक ने दोहों के जरिए मार्निंग न्यूज इंडिया के स्टूडियो में होली का रंग जमा दिया। इन्होनें अपनी कविताओं में हास्य के साथ सामाजिक मुद्दों को भी उजागर किया। साथ ही ये संदेश दिया कि होली का त्योहार सबसे प्यारा त्योहार है,रंगों को त्योहार है। लेकिन जबरदस्ती का त्योहार बिल्कुल नहीं है। इसलिए इस होली पर आपको किसी के साथ जबरदस्ती बिल्कुल नहीं करनी है। इस बार वाली होली प्यार से मनानी है।
किशोर पारीक किशोर
लैला मजनू का किस्सा है प्रेम
वरुण चतुर्वेदी एक जाने माने कवि और लेखक हैं। इन्होनें कई सारे छंद लिखे हैं। और ये ब्रज भाषा के कवि होने के साथ अपनी कविताओं में ब्रज का पुट ले आते हैं। इस बार भी इन्होनें कुछ ऐसा ही किया। जब स्टूडियो में होली के रंगों से अपना रंग जमा दिया। इन्होनें होली पर ब्रज भाषा में कविताएं सुनाई। जिनको सुनने के बाद होली का रंग और भी गहरा हो गया है। इन्होनें बताया कि होली पर दामाद का ससुराल में किस तरह से आदर सत्कार किया जाता है। लैला मजनू का किस्सा भी उन्होंने जमकर सुनाया है। जिसको सुनने के बाद सभी मंत्रमुग्ध हो गए।
वरुण चतुर्वेदी
गणित में समाया संसार
विनय कुमार वरिष्ठ कवि हैं। जिन्होनें होली की मस्ती का बखान करते हुए बताया कि होली एक ऐसा त्योहार है जिसमें एक वृद्ध भी बच्चा बन जाता है। जिस होली में मस्ती नहीं हो वो फिर किसका त्योहार। कविराज ने बताया कि होली पर ही हास्य रंग नहीं होना चाहिए बल्कि हमें हमेशा ही ठहाके लगाना चाहिए। उन्होनें बताया कि एक ठहाके का मूल्य पूरे हफ्ते भर के काम के बराबर होता है। इसी के साथ उन्होनें बताया कि हमें हमेशा सम्मानजनक तरीकों से हारना चाहिए। विनय कुमार ने पति-पत्नी के ऊपर व्यंग्य करते हुए कविताएं सुनाई जों बेहद दिलचस्प रहीं। साथ ही सबसे कठिन विषय गणित पर टिप्पणी करते हुए उसमें पती पत्नी की नोंक झोंक मिलाकर कविताएं सुनाई।
विनय कुमार अंकुश
होली पर ऐसे करें घर में ही स्किन की देखभाल
अधपकी खावै बाटी घाल दे
“होली का रस रंग हास्य कवि फेक रहे हास्य व्यग्ंय” से अपनी बात रखने वाले कवि वैध भगवान सहाय पारीक जयपुर के सुप्रसिद्ध कवि हैं। जो अपनी रचनाओं से सभी को भावों में बह गए। इन्होंने बताया कि राजस्थान की होली रंगों से सराबोर हैं। इन्होंने मारवाड़ी में अपनी रचनाएं सुनाई। साथ ही कहा कि मायड़ भाषा में जो बात है वो और कहां। कवि ने राजनीति पर भी खूब व्यग्ंय कसे। इन्होंने एक कविता सुनाते हुए कहा कि अधपकी खावै बाटी घाल दे वांकै गोळा लाठी। मतलब इसमें भी इन्होंने राजनेताओं पर टिप्पीणी की है।
वैध भगवान सहाय पारीक
डिजिटल जमाने और खत
चच मम पप सस से अपनी कविताओं को शुरु करने वाले देश के सुप्रसिद्ध कवि प्रहलाद कुमावत की रचनाओं और कविताओं का पाठक हमेशा इंतजार करते रहतें है। इन्होंने वो दौर याद दिलाया जिसमें खत लिखे जाते थे। आज के डिजिटल जमाने और खत का वो जमाना कितना हसीन था और अब क्या क्या अंतर आ गया है। इसके बारे में अपने विचार वयक्त किए। साथ ही ये बताया कि परिस्थिती जन्य हास्य कैसे पैदा होता है। कवि ने मारवाड़ी कविताओं के माध्यम से दर्शकों को सराबोर कर दिया।
प्रहलाद कुमावत
रंग लगाने से पहले हो जाओ सावधान
“पड़ोसन को रंग लगाने से पहले अपने चेहरे पर रंग लगाना, वरना पत्नी साबुन के साथ आपको भी धो देगी” से अपनी कविता की शुरुआत करने वाले राष्ट्रीय कवि राजेश खंडेलवाल ने कविताओं से महफिल जमा दी। इन्होंनें सियासत पर कहते हुए अबकी बार 400 पार पर खूब कविताएं सुनाई। कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो जितनी जादूगरी दिखाएगा वो उतना ही मात खाएगा। वहीं यूपी सरकार पर भी शायरी करते हुए उन्होंने कहा सबकी तबियत ठीक करे बुलडोजर बाबा।
राजेश खण्डेलवाल रजुआ
इस होली तुम हंसना गाना
“इस होली तुम” से अपनी कविताओं का आगाज करने वाली कवयित्री रेनू शब्द मुखर साहित्यिक रचनाओं में प्रवीण हैं। साथ ही रेणु मुखर अपनी हाजिर जवाबी के लिए भी खूब जानी जाती हैं। श्रृंगार रस के साथ ही सभी विधाओं में लिखने वाली रेनू ने सभी को अपनी कविताओं के साथ बांध लिया। रेनू की इस होली तुम हंसना गाना, साथ मुझे भी ले चलना इस रचना ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवयित्री ने कहा कि इस होली तुम अपने दुखों को तिलांजली देना और जर्रे-जर्रे में प्रेम का रंग बिखेराना। दूसरी एक और रचना में इन्होने कहा कि कोरोना काल में तेरे प्यार का ऐहसास हुआ जीवन में खूब अबीर उड़ा।
रेनू शब्द मुखर