कारें और बसें ही नहीं बल्कि Bike और Scooter भी Air Pollution करते हैं। आपको बता दें कि भारत की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ गया है। एयर पॉल्यूशन कंट्रोल करने के लिए काफी कदम उठाए गए हैं। इसको लेकर ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया गया है। हालांकि, इसमें टू व्हीलर को छूट दी गई है। पहले यह फॉर्मूला टू व्हीलर पर भी लागू किया गया था, लेकिन अब इन्हें छूट दे दी गई। लेकिन क्या टू व्हीलर कम एयर पॉल्यूशन करते हैं? या इन्हें छूट देने ना देने से वायु प्रदूषण पर कोई असर नहीं होगा? तो आइए जानते हैं।
टू व्हीलर से होने वाला पॉल्यूशन
दिल्ली टू व्हीलर्स को ऑड-ईवन का हिस्सा इसीलिए नहीं बनाया गया क्योंकि टू व्हीलर यूज करने वालों की आबादी बहुत अधिक है। ऐसे में सभी को किसी अन्य ट्रांसपोर्ट में एडजस्ट करना मुश्किल है। Air Pollution बात करें तो टू व्हीलर भी लगभग कारों के जितना ही एमिशन करती हैं। इनके लिए BS-VI के मुताबिक CO (g/km)- 0.5, HC+NOx (g/km)- 0.06, PM (g/km)- 0.005 की लिमिट तय की गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार टू व्हीलर लगभग 32 फीसदी वायु प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।
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Air Pollution एमिशन
आपको बता दें कि ICE व्हीकल्स के एमिशन में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन जैसी हानिकारक गैसों से साथ ही पार्टिकुलेट मैटर भी होते हैं। ये सभी मिलकर हवा प्रदूषित करते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जहरीली गैस होती है। यह गैस रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और हवा से कम घनी होती है। यह ऑक्सीजन-सांस लेने वाले जीवों के लिए हानिकारक होती है।
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाती है ग्रीनहाउस गैसें
जबकि नाइट्रोजन ऑक्साइड ग्रीनहाउस गैसें है जो कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाती है। ये आंखों और रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाती है। साथ ही एमिशन में मौजूद हाइड्रोकार्बन भी आंखों और रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए खतरा है। PM यानी पार्टिकुलेट मैटर छोटे और ठोस या तरल कण होते हैं और ये हवा में तैरते हैं। इसकी वजह से Air Pollution से सांस लेने में समस्या, दिल की बीमारी और कैंसर आदि हो सकते हैं।