D2M Networking की इस समय काफी चर्चा हो रही है। यह गजब की डिवाइस है जिसके जरिए मोबाइल फोन पर बिना इंटरनेट के मूवी देख सकते हैं। इसको लेकर केंद्रीय दूरसंचार विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और IIT कानपुर ने काम शुरू किया है। हालांकि, टेलीकॉम ऑपरेटर्स, चिप मैन्यूफेक्चरर, नेटवर्क प्रोवाइडर्स और हैंडसेट मेकर्स इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि डी2एम से उनका डेटा रेवेन्यू कम हो जाएगा। क्योंकि इनके रेवेन्यू का 80% ट्रैफिक वीडियो से आता है। ऐसे में आइए जानते हैं की D2M नेटवर्किंग क्या है और कैसे काम करती है?
ये होता है D2M Networking
D2M Networking अथवा डिवाइस-टू-मेटावर्से नेटवर्किंग एक नई प्रकार की नेटवर्किंग तकनीक है जो डिवाइसेज को मेटावर्से में एक-दूसरे से कनेक्ट होने की अनुमति देती है। यह तकनीक डिवाइसेज को एकसाथ काम करने, कम्यूनिकेट करने और डेटा शेयर करने की अनुमति देती है जिसको मेटावर्से में अधिक संपूर्ण बनाया जा सकता है।
ये हैं D2M Networking के लाभ
डीटूएम नेटवर्किंग डिवाइसेज को एक-दूसरे से अधिक कुशलता से कनेक्ट होने की परमिशन देता है। यह डिवाइसेज के बीच डेटा ट्रांसफर को तेज करता है तथा नेटवर्क पर भार कम करता है। D2M नेटवर्किंग डिवाइसेज को अधिक सिक्योर तरीके से कनेक्ट होने की परमिशन देता है। यह डिवाइसेज को आइडेंटीफाई करने और प्रमाणित करने के लिए मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल का यूज करता है। D2M नेटवर्किंग डिवाइसेज को अधिक ऑटोनोमस तरीके से काम करने की अनुमति देता है। इतना ही नहीं बल्कि यह डिवाइसों को भी एक-दूसरे के साथ वार्तालाप करने की परमिशन देता है।
ऐसे काम करता है D2M Networking
आपको बता दें कि D2M Networking ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट का एक मिक्सचर है। यह एफएम रेडियो प्रसारण के समान टेक्नोलॉजी का यूज करता है। इसके साथ ही यह ब्रॉडबैंड की हाई स्पीड और कैपेसिटी देता है। D2M नेटवर्किंग में उपकरण एक-दूसरे के साथ रेडियो फ्रीक्वेंसी का यूज करके संवाद करते हैं। इसके लिए 526-582 मेगाहर्ट्स बैंड का यूज किया जाएगा जो अभी टीवी ट्रांसमीटर के लिए यूज किया जाता है।
कंटेंट फ्री देख सकते हैं
भारत में IIT कानपुर ने जून में डी2एम प्रसारण और 5जी कन्वर्जेंस रोडमैप पर एक व्हाइट पेपर पब्लिश किया था जिसमें कहा गया था कि डी2एम नेटवर्क का यूज करके ब्रॉडकास्टर रीजनल टीवी, रेडियो, एजुकेशन मटेरियल, इमर्जेंसी अलर्ट सिस्टम, आपदा से संबंधित जानकारी, वीडियो और डेटा-पावर्ड ऐप दे सकते हैं। ये ऐप बिना इंटरनेट के चलेंगे और कम कीमत पर उपलब्ध होंगे।
भारत में होंगे 100 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स
गौरतलब है कि भारत में टीवी की पहुंच अभी भी काफी कम है। वर्तमान में केवल 21 से 22 करोड़ परिवारों में टेलीविजन है। हालांकि, स्मार्टफोन की पहुंच बहुत ज्यादा है। साल 2023 में 80 करोड़ से अधिक भारतीय नागरिकों के पास स्मार्टफोन है। यह संख्या 2026 तक 100 करोड़ तक पहुंच सकती है। साथ ही सरकार भी इस बढ़ती पहुंच का फायदा उठाना चाहती है। ऐसे में वो टीवी कंटेंट को स्मार्टफोन में देखकर अधिक लोगों तक पहुंचने की योजना बना रही है। इससे सरकार शिक्षा और आपातकालीन सेवाओं का प्रसारण आसानी से कर सकेगी।
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ऐसे कर सकते हैं D2M नेटवर्किंग का उपयोग ऐप्स
मेटावर्से
D2M नेटवर्किंग मेटावर्से को एक वास्तविक स्थान बनाने में सहायता कर सकता है। यहां पर लोग एक-दूसरे के साथ अधिक प्राकृतिक तरीके से जुड़ सकते हैं। ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR): D2M नेटवर्किंग AR और VR ऐप्स को अधिक कॉर्डिनेटेड बनाने में सहायता कर सकता है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)
D2M नेटवर्किंग IoT डिवाइसेस को एक-दूसरे के साथ ज्यादा सरल तरीके से जुड़ने और डेटा शेयर करने की परमिशन दे सकता है।