Health Insurance plans in India: कोविड के बाद से लगभग सभी लोगों ने हेल्थ इंश्योरेंस लेना शुरू कर दिया है। लेकिन जब बीमार होने पर हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम से पैसा मिलने की बात होती है तो कुछ गलतियों के चलते कुछ भी नहीं मिलता है। जानिए ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में
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पहले समझें कि किन बीमारियों को करेगा कवर
आमतौर पर हेल्थ इंश्योरेंस में कुछ बीमारियों को कवर नहीं किया जाता है। अथवा उनके साथ कुछ शर्तें भी जोड़ दी जाती हैं। इन शर्तों की पालना नहीं करने के कारण हमें क्लेम भी नहीं मिलता है। इसलिए जरूरी है कि आप जब भी इंश्योरेंस (Health Insurance plans in India) लें तो उसकी टर्म्स एंड कंडीशंस जरूरत पढ़ें। साथ ही यह भी जानें कि कौन-कौनसी बीमारियां इसमें कवर होंगी।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में डिडक्टिबल कितना है, यह भी जानें
इंश्योरेंस की भाषा में डिडक्टिबल उस अमाउंट को कहा जाता है जो पॉलिसी होल्डर को भरना पड़ता है। उदाहरण के लिए मान लिजिए कि आपने एक पॉलिसी ली। उसमें डिडक्टिबल अमाउंट 5000 रुपए है। आपने हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम किया और कुल 25000 रुपए के बिल कंपनी को दिए। इसमें से डिडक्टिबल अमाउंट यानि 5000 रुपए आपको अपनी जेब से देने होंगे। बाकी बचा हुआ पूरा पैसा इंश्योरेंस कंपनी देगी।
दूसरी जरूरी बात, अगर आपका क्लेम इस डिडक्टिबल अमाउंट से कम है तो भी कंपनी आपको क्लेम का पैसा नहीं देगी। यानि इंश्योरेंस का पूरा लाभ लेने के लिए आपको डिडक्टिबल अमाउंट से बड़ा क्लेम करना चाहिए। तभी आप क्लेम की राशि पा सकेंगे।
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क्यों जरूरी होता है डिडक्टिबल अमाउंट (Health Insurance Deductible)
दरअसल बीमा कंपनियां चाहती हैं कि लोग छोटे-मोटे क्लेम के लिए उनके पास नहीं आए। इससे दो फायदे होते हैं। पहला फायदा होता है कि उनका वर्कलोड बहुत कम हो जाता है। दूसरा फायदा यह है कि छोटे-छोटे क्लेम असेप्ट नहीं करने पर बीमा कंपनियों का काफी सारा पैसा बचता है। इसलिए ही बीमा कंपनियां डिडक्टिबल अमाउंट का नियम रखती हैं।