पौराणिक कथाओं में तुलसी को माता माना गया है।
तुलसी को विष्णु पत्नी लक्ष्मी अवतार कहा जाता है।
कहते है विष्णु जी से पहले तुलसी का विवाह एक राक्षस से हुआ था।
तुलसी पूर्व जन्म में एक लड़की थी, जिसका नाम वृंदा था।
उस दौरान राक्षस कुल में ही तुलसी का जन्म हुआ था।
यह बच्ची बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी।
उसका विवाह राक्षस कुल में ही दानव राज जलंधर से हुआ।
विष्णु जी ने एक योजना के तहत जलंधर का रूप धरा था।
जिसके बाद वृंदा ने उन्हें श्राप देकर पत्थर का बना दिया।
उस पत्थर को हम शालीग्राम कहते है, जिनकी पूजा तुलसी संग होती है।