महाराणा प्रताप राजपूत समुदाय से थे। वह मेवाड़ के राजा थे। 

हल्दी घाटी का ऐतिहासिक युद्ध भी प्रताप के नेतृत्व में लड़ा गया। 

प्रताप की सेना का सेनापति अथवा सरदार काफी ताकतवर था। 

प्रताप की सेना का सेनापति एक मुसलमान था, जो बहादुर था। 

उसका नाम हकीम खां सूर था। वह प्रताप सेना के एकमात्र मुस्लिम थे। 

हकीम खां सूरी के बिना हल्दी घाटी के युद्ध का उल्लेख ही बेकार है। 

हकीम खां सूरी तलवार के साथ लड़े और तलवार के साथ ही दफनाए गए।

उसके एक हमले से  अकबर की सेना कई कोस दूर भागने पर मजबूर हुई। 

महाराणा प्रताप के  तोपखाने के प्रमुख हकीम खां ही हुआ करते थे। 

हल्दीघाटी के युद्ध में वीरतापूर्वक लड़े और 1576 में उनकी मृत्यु हो गई।