दो युगों का मिलन है ये मंदिर, Shri Ram Chandra Ji Mandir में होती है कृष्ण की पूजा

Ambika Sharma
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Shri Ram Chandra Ji Mandir

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Shri Ram Chandra Ji Mandir दो युगों का मिलन भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम और श्री कृष्ण है। त्रेता युग में जन्में राम जहां भगवान राम ने आदर्श और संस्कारों का अर्थ समझाया वहीं द्वापर में जन्में कृष्ण ने कर्म योग का ज्ञान दिया। जैसे भगवान विष्णु के दो अवतारों में कर्म और धर्म का ज्ञान है। जयपुर में भी ऐसा एक मंदिर है, जहां पर त्रेता और द्वापर दोनों युगों का मिलाप होता है। राजस्थान के जयपुर में बना यह मंदिर श्री रामचंद्र जी मंदिर के नाम से जाना जाता है। लेकिन जब यहां की मूर्ति देखी जाती है तो यहां श्री कृष्ण की पूजा होती है। यहां आने वाले हर भक्त के मन में यह सवाल आता है, कि भगवान राम की जगह श्री कृष्ण की मूर्ति की पूजा क्यों होती है। इसके पीछे का कारण जानने के लिए माॅर्निंग न्यूज इंडिया ने बात की हवामहल के पास स्थित श्री राम चंद जी मंदिर के पुजारी से।

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Shri Ram Chandra Ji Mandir में कृष्ण की आराधना

कोई भी मंदिर हो वहां पूजा भी उन्हीं देवी देवताओं की होती है। जिनकी मूर्ति वहां स्थापित होती है। जैसे शिव मंदिर में शिवजी की तो माता के मंदिर में माता की पूजा होती है। वहीं इसShri Ram Chandra Ji Mandir  में भगवान राम की नहीं भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। यहां मूर्ति भी कृष्ण भगवान की ही स्थापित है।

क्यों होती है कृष्ण की पूजा

मंदिर के पुजारी का कहना है कि यह मंदिर श्री कृष्ण का ही है। इसकी स्थापना पुरातन काल में एक राजा और रानी ने करवाई थी। जिनके नाम के कारण ही मंदिर का नाम पड़ा। इसे बनवाने वाले राजा का नाम राम और रानी का नाम चंद्रावती था। जिस कारण इसका नाम राम चंद्र जी मंदिर रखा गया। इसी कारण लोगों को लगता है कि यह भगवान राम का मंदिर है। श्री राम चंद्र जी मंदिर हवामहल भी श्री राम चंद्र जी मंदिर चांदपोल की तरह प्रसिद्ध है।

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22 जनवरी को होंगें कई कार्यक्रम Shri Ram Chandra Ji Mandir

राम मंदिर अयोध्या के साथ यहां भी 22 जनवरी को भव्य आयोजन किए जा रहे हैं। मंदिर में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर विशेष रूप से साज-सज्जा और भजन के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें दूर दूर से भक्त शामिल होंगे। मंदिर देव स्थान विभाग की सम्पत्ती में आता है। जिसकी पूजा और व्यवस्था का जिम्मा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ट्रस्ट को दिया गया है।

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