हनुमान जी ने दिया था गोस्वामी तुलसीदास को निर्देश
Ramcharitmanas Ayodhya kand fact: रामचरित मानस की रचना करने वाले गोस्वामी जी अमर हो गए। राम जी की महिमा को बताने वाला ये ग्रंथ हर किसी की श्रद्धा का प्रतीक है। इसके रचनाकार गोस्वामी जी का जयपुर से भी गहरा नाता है। वे महाराजा मानसिंह के अच्छे मित्र थे। वे अग्रदास महाराज के दीक्षा संस्कार महोत्सव में कई संतों के साथ ऋषि गालव की तपो स्थली जिसे गलता तीर्थ के नाम से जाना जाता है। वहां आए थे। इस दोस्ती का ही परिणाम है कि पवित्र रामचरित मानस के अयोध्या कांड की रचना गलता तीर्थ में हुई थी।
तुलसी दासजी और आमेर नरेश मान सिंह प्रथम अच्छे सखा थे। इस कारण तुलसी दास जी ने आमेर के युवराज जगत सिंह शिक्षा भी दी। इस शिक्षा और गोस्वामी जी के गलता आने का प्रमाण रीवा के राजा रघुवीर सिंह के दो सौ साल पहले लिखे एक भक्त माल टीका में भी मिलता है। इसमें लिखा यह दोहा-
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Ramcharitmanas Ayodhya kand fact
एक समय नाभा जू ज्ञानी
जिन यह भक्त माल निर्माणी
ते सब संतन न्योता दिन्यो
शीघ्र संत प्यानो किन्हो
तुलसी दास के न्योतो आयो
ताहि विचार मन में अलसायो
पंगत में कच्चो पकवाना
द्विज को कहबो उचित न जाना
यह विचार कर तह तहु न गयो
पवन सुत तांसो कह देयो
भक्त राज नाभा को जानो
तुरत ही नह तंह को करो प्यानो
हनुमत शासन सुनत गुसाई
चले तंहा भिक्षुक की नाईं
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इस दोहे का अर्थ है कि, तुलसीदासजी गलता नहीं आना चाहते थे। इस समय हनुमान जी ने उन्हें निर्देश दिया तब उन्हें भिक्षुक बनकर गलता के लिए प्रस्थान करना पड़ा। संत नाभा दास का कहना है कि तुलसी दास भक्त माल का सुमेरू है। गलता की परिचय पुस्तक में भी लिखा गया है कि तुलसीदास जी तीन वर्ष तक गलता में निवास किया। रामचरितमानस के अयोध्या कांड की रचना करने के समय वे जानकीनाथ मंदिर में रहे थे। इसलिए ही लिखा भी गया है जानकी नाथ सहाय करें तब कौन बिगाड़ करे नर तेरो। Ramcharitmanas Ayodhya kand fact अयोध्या कांड से कुछ पद भी रेवासा में लिए गए हैं।