भगवान राम, मर्यादित राम, पुरुषोत्तम राम, जानकी के राम, हनुमान के राम, राजा दशरथ के राम, माता कौशल्या के राम, सनातन के राम, भारत के राम, जगत के राम, सबके राम 22 जनवरी को अयोध्या में अपने भव्य और दिव्य दरबार में विराजने जा रहे हैं. करीब 5 सदियों की प्रतीक्षा समाप्त हो रही है.
सनातनियों ने 5 सदी की लंबी लड़ाई लड़ी और अब प्रभु राम अपनी जन्मस्थली अयोध्या में ठाठ से रहेंगे. सदियों तक टेंट और तंबू में रहे प्रभु राम को अब भव्य दरबार मिलने जा रहा है. अयोध्या में बन रहा उनका मंदिर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कहलाएगा.
राम के स्वागत को हर कोई आतुर है. देश दुनिया की आंखें प्रभु के स्वागत के लिए व्याकुल नजर आ रही है. प्रतीक्षा जब हकीकत में बदलती है तो ऐसा ही होता है. आप और हम जैसे भक्तों का यह हाल है तो सोचिए राम की प्रियतमा और हमारी माता जानकी का क्या हाल होगा. माता भी अपने स्वामी के लिए भावुक होगी.
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हमारी माता सीता भी प्रभु के विराजने का इंतजार कर रही हैं. माता सीता ने यह इंतजार हजारों साल पहले भी किया था. जब स्वयंवर रचा गया तो वे प्रतीक्षा कर रही थी कि आखिर श्री राम कब शिव जी के धनुष को तोड़कर उनसे विवाह करेंगे. कई राजा-महाराजाओं ने स्वयंवर में हिस्सा लिया और धनुष तोड़ने का प्रयास किया लेकिन वे विफल रहे.
माता जानकी यह नजारा देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि जगत माता जानती थी कि धनुष तो राम ही तोड़ेंगे और उन्हें ब्याह कर ले जाएंगे. लेकिन क्या आप जानते है कि माता जानकी और मर्यादित राम पहली बार कब मिले थे. कब हमारे इष्ट और आराध्यों का मिलन हुआ था ?
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जब प्रभु राम अनुज लक्ष्मण और विश्वामित्र जी के साथ जनकपुर पहुंचे थे तब फूलों के बाग में पहली बार माता सीता और प्रभु राम ने एक दूसरे को देखा था. रामचरित मानस में इस प्रसंग का उल्लेख मिलता है. जब राम जी, लक्ष्मण जी और विश्वामित्र जी जनकपुर पहुंचे थे तो सीता माता के पिता राजा जनक जी सभी को अपने महल में बड़े आदर के साथ लाए थे.
अगले दिन राम जी भाई लक्षण के साथ बाग (पुष्प वाटिका) में फूल लेने के लिए पहुंचे थे. तभी सखियों के साथ माता सीता का भी आना हुआ था. श्री राम को देखते ही माता की नजर उन पर टिकी की टिकी रह गई. अपने होने वाले प्रियतम को माता निहारती ही रह गई. वहीं अपनी होने वाली अर्द्धांगिनी को देखकर प्रभु राम भी काफी आनंदित हुए थे.