Neuralink Chip: स्मार्टफोन के जैसे कंट्रोल होगा इंसान, Elon Musk का खुराफाती प्रोजेक्ट जान लीजिए

Digital Desk
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Neuralink Chip: तकनीकी दौर में हम सब हैकिंग से परेशान हैं। अभी तक आपने स्मार्टफोन हैकिंग या कंप्यूटर हैकिंग का नाम सुना होगा। लेकिन सोचिए अगर कोई आपका दिमाग ही हैक कर ले, यानी आपको अपने इशारों पर नचाए तो कैसा लगेगा। हम किसी कपोल कल्पना की बात नहीं कर रहे बल्कि नई टेक्नोलॉजी न्यूरालिंक चिप की बात कर रहे हैं। दिग्गज कंपनी टेस्ला के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) ने हाल ही में Neuralink Chip इंसानी दिमाग में फिट करने की बात कहकर पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या स्मार्टफोन की तरह ही इंसानों को कंट्रोल किया जा सकेगा? तो चलिए एलन मस्क के इस खुराफाती प्रोजेक्ट के बारे में जान लेते हैं।

China unveils plan for chilling 'zombie' BRAIN CHIPS to be implanted into skulls to rival Elon Musk's Neuralink | The US Sun

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क्या सच में इंसानी दिमाग हैक हो जाएगा?

हालांकि मस्क के इस न्यूरालिंक चिप (Neuralink Chip) को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इंसानों के दिमाग में चिप फिट करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। चूंकि काफी मेडिकल जटिलताओं की वजह से इस चिप को दिमाग से फिट करने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत होगी। डॉक्टर और घर वालों की मंजूरी के बाद ही इसे इंसानी दिमाग में फिट किया जाएगा।

इस चिप के क्या फायदे होंगे?

वैसे यह चिप (Neuralink Chip) मेडिकल डिवाइस की तरह काम करेगी। इसका फायदा उन लोगों के लिए होगा, जिनको लकवा हो जाता हैं, या जो चल फिर नहीं पाते हैं। इस चिप की मदद से लकवाग्रस्त इंसानों के दिमाग को फिर से सक्रिय किया जा सकेगा। यानी न्यूरालिंक चिप की मदद से कोमा में गए मरीज को फिर से चलने फिरने योग्य बनाया जा सकेगा। साथ ही मानसिक रोगियों के लिए भी यह चिप काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। हालांकि इसके गलत इस्तेमाल को लेकर भी कई तरह की आशंकाएं हैं।

Elon Musk's Neuralink has put in its first human brain implant : NPR

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कई तरह के टेस्ट हो चुके हैं

मस्क की इस चिप (Neuralink Chip) को वैसे तो कई तरह के टेस्ट से गुजारा जा चुका है। Neuralink चिप को लेकर पिछले कई सालों से रिसर्च चल रहा है। इसके संभावित गलत इस्तेमाल को लेकर कई जानवरों पर लैब टेस्ट भी किये जा चुके हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले दस सालों से इस टेक्नोलॉजी पर काम चल रहा हैं। पहली बार ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस के बारे में साल 1963 में चर्चा हुई थी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट विलियम ग्रे वॉल्टर ने ब्रेन को चिप से कंट्रोल करने की बात कही थी। हालांकि विज्ञान वरदान के साथ अभिशाप भी है यह हम सभी अच्छे से जानते हैं। अगर किसी गलत हाथ में यह तकनीक आ गई तो फिर वह किसी भी इंसान को वश में कर सकता है। सही गलत हमारे हाथ में है।

Neuralink's Brain Chip Implant Marks New Era in Human-Computer Synergy - Neuroscience News

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