मकर संक्रांति 2024: विभिन्न राज्यों में अनूठे रूपों में कैसे मनाया जाता हैं, यह पर्व?

Digital Desk
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मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न राज्यों में अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर को चिह्नित करता है।

गुजरात जैसे राज्यों में, अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव मुख्य आकर्षण होता है, जहां आसमान को विभिन्न रंगों और आकारों की पतंगों से भर दिया जाता है। लोग पतंग-उड़ाने के प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और गुजराती विशेष पकवान जैसे उंधियू और चिक्की का आनंद लेते हैं।

दक्षिण भारत में, विशेष रूप से तमिलनाडु में, इसे ‘पोंगल‘ कहा जाता है, और लोग पोंगल नामक विराजस्थान शेष व्यंजन का तैयारी करके इसे मनाते हैं, जो चावल, गुड़ और दूध से बनाया जाता है।

पंजाब में, इसे ‘लोहड़ी‘ के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग बोनफायर जलाते हैं, और पारंपरिक लोक गीतों पर नृत्य और गायन का आनंद लेते हैं, रेवड़ी, मूंगफली और पॉपकॉर्न का मजा लेते हैं।

महाराष्ट्र में, लोग ‘तिल-गुड़‘ आदान-प्रदान करते हैं, अन्य क्षेत्रों में भी, मकर संक्रांति को सभी के साथ मिल जुल कर, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, तिल, गुड़ और चावल से बनी पारंपरिक डिशों का आनंद लेकर मनाया जाता है।

इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है, यहाँ कुछ राज्य इस प्रकार है:

राजस्थान 

राजस्थान में यह त्योहार स्थानीय तौर पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह हिन्दी पंचांग के माघ मास की पहली तिथि को आता है जो जनवरी के मध्य समय में होती है।

मकर संक्रांति के इस अवसर पर लोग विभिन्न पूजा-अराधना, दान-पुण्य करते हैं। मकर संक्रांति को सूर्य की ऊंचाई के बढ़ने का संकेत माना जाता है, और इस दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है।

खासकर पशुपालन करने वाले लोगों में इस त्योहार का विशेष महत्व है। वे अपने पशुओं को सजाकर, सजीव और स्वस्थ रखने के लिए पूजा आराधना करते हैं। साथ ही, मकर संक्रांति के दिन लोग अपने घर में तिल, गुड़, मूँगफली और गजक जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करते हैं। इन्हें तिल-कुट (Agra Petha) कहा जाता है, जिन्हें लोग एक दूसरे को भेजकर खुशियां बांटते हैं। राजस्थान में मकर संक्रांति का त्योहार समृद्धि, सौभाग्य, और खुशियों का संकेत माना जाता है और लोग इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।

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गुजरात 

गुजरात में मकर संक्रांति बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह त्योहार साल के पहले महीने, जनवरी के मध्य में होता है, इसे उत्सव के रूप में ‘उत्तरायण’ भी कहा जाता है।

गुजरात में इस त्योहार को काई रूपों में मनाया जाता है, जिसमें पतंगबाजी, खिचड़ी खाना, सूर्य दर्शन और स्नान शामिल हो सकते हैं। पतंगबाजी इस त्योहार का एक प्रमुख हाइलाइट है, जहां लोग रंगीन पतंगों को उड़ाते है।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में मकर संक्रांति को ‘संक्रांत’ भी कहा जाता है, और इसे बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी महीने के मध्य में आता है और यह सौरमास (सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है।) का आधिकारिक समापन होता है। मकर संक्रांति का मतलब होता है ‘मकर राशि में प्रवेश’।

मध्य प्रदेश में इस दिन लोग अपने घरों को सजाकर, रंग-बिरंगे झूले बनाकर और पतंग उड़ाकर उत्साह से मनाते हैं। महिलाएं खासकर सुंदर साड़ियाँ और मेहंदी लगाकर त्योहार का आनंद उठाती हैं।

धार्मिक दृष्टि से, लोग मकर संक्रांति को सूर्य भगवान की पूजा के रूप में भी मनाते हैं। विभिन्न स्थानों पर दान-धर्म, तिल-गुड़, खिचड़ी (Moong Dal Halwa) और जल में श्रद्धाभाव से भोजन कराना भी एक प्रचलित परंपरा है। सामाजिक रूप से, लोग मिलजुलकर पतंगबाजी करते हैं, जिसमें रंगीन पतंगें उड़ाई जाती हैं।

इस प्रकार, मध्य प्रदेश में मकर संक्रांति को विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तरीकों से धूमधाम से मनाया जाता है।

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हरियाणा

हरियाणा में मकर संक्रांति को ‘सांक्रांति’ या ‘मकर संक्रांति’ के नाम से मनाया जाता है, जो कि हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के पहले महीने मकर राशि में होता है, जो लगभग 14 जनवरी को आता है। यह त्योहार विभिन्न रूपों में पूरे हरियाणा में मनाया जाता है और लोग इसे खुशी और उत्साह के साथ बड़े धूमधाम से मनाते हैं।

मकर संक्रांति को पुण्यकाल माना जाता है, इसलिए लोग इस समय पर दान-धर्म को भी महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में, लोग एक दूसरे के साथ पतंगबाजी का आनंद लेते हैं और खेतों में बोई गई सार्सों के तेल के दिए की रौंदी खेतों में चढ़ाते हैं। और यह माना जाता है, कि इससे बुराइयों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है|  

संक्रांति के इस अवसर पर लोग आपसी मिलन-जुलन का आनंद लेते हैं और एक दूसरे के साथ खुशियों को  मनाते हैं। खासकर बच्चे और युवा इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं और आपस में पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं।

बिहार 

बिहार में मकर संक्रांति बहुत धूमधाम से मनाई जाती है और इसे “मकर संक्रांति” या “खिचड़ी” कहा जाता है। इस दिन लोग सूर्य की पूजा करते हैं और गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है। खिचड़ी बनाना भी इस दिन का एक विशेष पारंपरिक अनुष्ठान है। लोग अनाज, मूंगफली, गुड़ और तिल की खिचड़ी बनाकर खाते हैं.

मकर संक्रांति का संबंध बिहार के मुक्तेश्वर मेले से भी है, जो मुक्तेश्वर मंदिर, मुक्तेश्वर गुफा और ब्रह्मकुंड की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस मेले में लोग बड़ी श्रद्धा से भगवान की पूजा करते हैं और गंगा में स्नान का आनंद लेते हैं।

बिहार में मकर संक्रांति के दिन छठ पूजा भी मनाई जाती है, जो गंगा महिया (बिहारी: छठी मैया) की पूजा है और उन्हीं को समर्पित है। छठ पूजा में लोग अपने उपासक के भाग्य को बढ़ाने के लिए सूर्य देव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

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उत्तर प्रदेश

मकर संक्रांति उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है, जो जनवरी महीने में सूर्य ग्रहण के समय प्रतिवर्ष होता है। यह त्योहार उत्तर प्रदेश में ‘मकर संक्रांति’ या ‘खिचड़ी संक्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है।

मकर संक्रांति को उत्तर प्रदेश में गंगा स्नान, दान-पुण्य, और मेले के साथ मनाया जाता है। लोग सुबह स्नान करने के बाद गंगा नदी में स्नान करते हैं और व्रत रखकर सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद दान-पुण्य के लिए विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

उत्तर प्रदेश में कुम्भ मेला भी मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शाही स्नान के लिए प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में एकत्र होते हैं। इस मेले में साधु-संत, नागा साधु, और लाखों पीठाधिपतियों की भी भीड़ होती है।

साथ ही, लोग खिचड़ी बनाते हैं और उसे पूरे परिवार के साथ भोजन करते हैं। मकर संक्रांति के दिन मकर संक्रांति मेले भी अलग-अलग स्थानों पर आयोजित किए जाते हैं, जो भगवान सूर्य और माँ गंगा की पूजा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

निष्कर्ष

मकर संक्रांति भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को चिह्नित करता है और धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, जैसे कि गुजरात में पतंग महोत्सव, तमिलनाडु में पोंगल, और पंजाब में लोहड़ी। यह एक सामूहिक आत्मविश्वास और समृद्धि का पर्व है जो लोगों को साथ आने और खुशियों को साझा करने के लिए प्रेरित करता है। हम सभी को इस दिन सूर्य देव की कृपा और उत्तरायण के संकेत के साथ समृद्धि और खुशियों से भरपूर जीवन की कामना करते हैं।

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