Gay Marriage Law India: बिहार में दो बच्चियों ने किया समलैंगिक विवाह, जानें भारत का कानून

Akash Agarawal
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Gay Marriage Law India: दुनियाभर में समलैंगिक रिश्तों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कई देशों ने इस तरह के रिश्तों को कानूनन स्वीकार भी कर लिया है। लेकिन भारत समेत आज भी अधिकतम देशों ने इस तरह के रिश्तों को नहीं अपनाया है। भारत में कुछ समय पहले एक मामले में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि समलैंगिक विवाह को कानूनन मान्यता नहीं दी जा सकती क्योंकि यह प्रकृति अनुकूल नहीं है। कोई इसमें रहना चाहे तो उसे रोक भी नहीं सकते।

बिहार की बच्चियों ने किया समलैंगिक विवाह

बिहार की राजधानी पटना के सीवान शहर में दो बहनें साथ जीने-मरने की कसम खाते हुए समलैंगिक विवाह कर चुकी है। दोनों रिश्ते में मौसेरी बहनें है। इनमें से एक का नाम रोशनी खातून (21 वर्ष) और दूसरी का नाम तराना खातून (18 वर्ष) है। दोनों पति-पत्नी की तरह रहे रहे हैं। पूछताछ में पता चला कि रोशनी खातून सीवान जिला के अहमद थाना क्षेत्र के एचएच नगर निवासी खुर्शीद अहमद की बेटी है। तराना खातून तरवार थाना क्षेत्र के मंजूर आलम की बेटी है।

पूरा मामला 7 नवंबर 2023 को ‘अमर उजाला’ के वेब पोर्टल पर प्रकाशित हुआ। परिजनों के मुताबिक दोनों बच्चियां सीवान से भागकर पटना आकर साथ रहने लगी। दोनों पर समलैंगिक विवाह का पागलपन सवार था। दोनों का कहना है कि वे एक ही धर्म की है और आपस में रिश्तेदार है, फिर उन्हें ऐसा करने में क्या दिक्क्त है। परेशान परिजनों की आपत्ति पर दोनों कहती है कि वे आपस में विवाह कर चुकी है और अब एक-दूसरे से अलग नहीं रह सकती।

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पुलिस के सामने दोनों बच्चियों ने क्या कहा

दोनों बच्चियों ने पुलिस में परिजनों के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करवाई। उनका कहना है कि उनके परिजन ‘समलैंगिकता’ के विरोधी है। हम दोनों व्यस्क है और अपनी मर्जी से साथ रहना चाहते है। भविष्य में यदि हम दोनों पर कोई जानलेवा हमला होता है तो इसके जिम्मेदार हमारे माता-पिता होंगे।

भारत में क्या है Gay Marriage Law

भारत में Gay Marriage Law के अनुसार समलैंगिक संबंध अनुचित है। इस तरह के रिश्ते में रहने वाले लोगों को कानूनी अधिकार और लाभ नहीं दिया जा सकता। भारत में एकीकृत विवाह कानून नहीं है इसलिए प्रत्येक नागरिक को यह चुनने का अधिकार है कि उनके समुदाय या धर्म के आधार पर उन पर कौन सा कानून लागू होगा। इस वजह से यह फैसला लेना कि समलैंगिक संबंध कानून सही है या नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट के लिए भी जटिल है।

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