Diwali Pooja in Periods Time: हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। यह दिन अधर्म पर धर्म की जीत की खुशी में सेलिब्रेट किया जाता है। पांच दिवस के इस पर्व में पहला दिन धनतेरस, दूसरा दिन छोटी दिवाली, तीसरा दिन लक्ष्मी पूजन, चौथा दिन गोवेर्धन पूजा और पांचवा दिन भाई दूज होता है। त्यौहार चाहे जो भी हो, महिलाओं की भूमिका एक परिवार में काफी मायने रखती है। लेकिन किसी कारणवश महिला पूजा में सम्मिलित न हो तो क्या होगा?
यही एक सवाल है, जो हर महिला के मन में जरूर पैदा होता है। महिलाओं के साथ मासिक धर्म की समस्या आम बात है। कहते है Periods Time में महिलाओं या लड़कियों को कोई भी शुभ कार्य में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। लेकिन यदि उस दिन त्यौहार हो और उसमें भी वो दिवाली का त्यौहार हो, तो क्या होगा? अक्सर दिवाली के समय में महिलाओं का Periods Time आना एक खराब अनुभव होता है। इस स्तिथि में उनकी खुशी फीकी पड़ सकती है।
क्या Periods Time में करनी चाहिए दिवाली पूजा?
हिंदू धर्म की मान्यताओं को जानने और समझने वाले लोग कहते है कि ‘यदि कोई महिला या लड़की दिवाली जैसे त्यौहार पर Periods Time में हैं, तो उसे पूजा में शामिल नहीं होना चाहिए। इसकी जगह पर वे ‘जप और ध्यान’ कर सकती हैं। आपकी पूजा भी इससे खंडित नहीं होती है। दरअसल, दिवाली के समय पर परिवार के मुखिया को पूजा में बैठना आवश्यक होता है और बाकी लोग उसके साथ ही सम्मलित होते है। ऐसे में आपका जप भी पूजा का ही हिस्सा होगा।
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अगर Periods Time में की दिवाली पूजा तो क्या होगा?
यदि Periods Time में महिलायें या लड़कियां Diwali Pooja करती है तो शास्त्र अनुसार अशुभ फल मिलता है। इस त्यौहार पर पीरियड्स खत्म होने के पांचवे दिन मंदिर में जाया जा सकता है। शास्त्रों के मुताबिक पीरियड्स खत्म होने के बाद का पांचवां दिन शुद्धिकरण के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
Periods Time में महिलायें नहीं करें ये काम
- कम नमक खाना चाहिए।
- एक ही पैड को लंबे समय तक इस्तेमाल करने से बचें।
- धूम्रपान और शराब का सेवन करना गलत होता है।
- मसालेदार भोजन से जितना हो उतना बचकर रहना चाहिए।
- मंदिर पूजा में सीधे शामिल न हो लेकिन जप कर सकते हैं।