Diwali का 5 दिवसीय उत्सव होता है जिसमें सबसे पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली, तीसरे दिन बड़ी दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा अन्नकूट महोत्सव और 5वें दिन भाई दूज मनाया जाता है। हर साल कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दिवाली, अमावस्या को बड़ी दिवाली और इसके बाद पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि छोटी दीवाली, बड़ी दिवाली और देव दिवाली में क्या फर्क है। दिवाली का त्योंहारी सीजन हर साल ट्रेंडिंग में रहता है।
छोटी दिवाली (Choti Diwali)
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दिवाली मनाई जाती है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसके अलावा उसकी कैद से 16000 महिलाओं को मुक्त कराकर देवलोक को स्वतंत्र कराया था। इसी खुशी में छोटी दिवाली यानि नरक चतुर्दशी दीपक जलाकर मनाई जाती है। छोटी दिवाली पर ही अभ्यंग स्नान से रूप निखारा जाता है। साथ ही यम के नाम से दीपक जलाने पर व्यक्ति मृत्यु के बाद नरक नहीं भोगता।
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बड़ी दिवाली (Badi Diwali)
हर साल कार्तिक माह की अमावस्या के दिन बड़ी दिवाली मनाई जाती है। इस दिन रात को मुहूर्त के अनुसार माता लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि अमावस्या की रात को माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं। इस वजह से माता के स्वागत में इस दिन भी दीपक जलाते हैं। इसी दिन श्रीराम भी अयोध्या वापस लौटकर आए थे। यह भी कहा जाता है कि इसी दिन माता कालिका उत्पन्न हुई थी।
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देव दिवाली (Dev Diwali)
देव दिवाली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और देवताओं को भय से मुक्ति करके उन्हें पुन: स्वर्ग का राज सौंपा था। इसी की खुशी में सभी देवता गंगा तट पर एकत्रित होकर स्नान करते हैं। इसी के साथ खुशी में दिवाली मनाते हैं। इस दिन भी घरों में दीपक जलाए जाते है। इसके साथ ही श्रीहरि विष्णु, श्री लक्ष्मी, तुलसी, भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है।