डा. उरुक्रम शर्मा
BJP’s Lok Sabha 2024 victory formula: लोकसभा चुनाव 2024 जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पूरी तरह कमर कस ली है, वहीं विपक्षी गठबंधिन इं-डि-या अभी सीटों की शेयरिंग का विवाद नहीं सुलझा पा रहा है, ना ही इस गठबंधन का नेता कौन होगा, इस पर आम राय बना पा रहा है। हालांकि आम आदमी के अरविन्द केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे बढ़ाकर मुश्किल खड़ी कर दी है। कांग्रेस के गांधी परिवार के नेता इससे सहमत नहीं है, वे नेता के रूप में राहुल के अलावा किसी और को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। विवाद बढ़ता इससे पहले ही खड़गे ने भी खुद को अलग करते हुए कहा कि चुनाव जीतने के बाद इस पर फैसला किया जाएगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की पहल पर यह गठबंधन हुआ है, लेकिन उन्हें इसका संयोजक नहीं बनाने से उनके तेवर तीखे तीखे हैं।
आपसी सहमति नहीं बना पाने से यह गठबंधन बाहर नहीं निकल पा रहा है, वहीं भाजपा ने इस बार 400 पार का नारा देकर अपनी तैयारियां तेज कर दी है। भाजपा के नेता लगातार बैठकों के दौर कर रहे हैं। केन्द्रीय नेतृत्व भी इसी रणनीति को कारगर बनाने में पूरी ताकत से जुट गया है। 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा लोकसभा चुनाव जीतने का पहला कदम तय किया गया है। इसके लिए भाजपा की बैक बोन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कमान संभाल रखी है। पूरी तरह से देश में सनातनी माहौल बनाने के लिए अभी से तैयारियां तेज हो गई है। बिहार से अयोध्या तक लवकुश यात्रा रवाना हो चुकी है। विश्व हिन्दू परिषद पीले चावल लेकर घर घर पहुंचने लगी है। एक तरह से समूचे देश में राम लहर पैदा की जा रही है। देश के मंदिरों से और विदेशों से भी अयोध्या रामलला के लिए सामग्री भेजी जा रही है। मेंहदीपुर के बालाजी से प्रसाद के लिए दो लाख लड्डू के पैकेट भेजे जा रहे हैं। सीता रसोई में दो महीने तक भोजन बनाने के लिए जयपुर से तेल भेजा जा रहा है। जोधपुर से अयोध्या देशी घी लेकर रथ रवाना हो चुके हैं।
सोशल मीडिया पर हर दूसरी पोस्ट अयोध्या से संबंधित है, ताकि हर किसी सनातनी की जुबान पर सिर्फ अपने आराध्य के अयोध्या धाम में वापसी की कल्पना को साकार किया जा सके। राम मंदिर निर्माण का वादा हर चुनाव में किया था, इस बार उसे पूरी तरह से क्रियान्वित कर दिया। भाजपा जनता में साफ तौर पर संदेश देना चाहती है, जो कहती है वो करती है। मोदी ने कुछ कहा तो वो उस काम के होने की गारंटी है। लोगों में भरोसा जगाने और भाजपा ही सनातन की सच्ची हिमायती व रक्षक है, इसे घर घर तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है।
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पूरी भागीदारी का विपक्ष के पास सुनहरा अवसर था। ताकि भाजपा उन पर सनातन विरोधी की जो छाप लगा रही है, उसे धोया जा सके। हालांकि विपक्ष ने यह मौका हाथ से गंवा दिया और भाजपा के हाथ में विपक्ष सनातन विरोधी रूख रखती है, इसका हथियार थमा दिया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे, सोनिया गांधी और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी को न्यौता दिया गया, परन्तु उन्होंने निमंत्रण अस्वीकार कर दिया। ममता बनर्जी और वामपंथी नेता पहले ही इसे ठुकरा चुके हैं। यानी विपक्ष ने ऐसा करके अपने पांवों पर कुल्हाडी मारने का काम कर डाला।
भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव को जीतने की यात्रा राम मंदिर से शुरू की है। साथ ही रणनीति भी बना ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष के जाति जनगणना को प्लाप करने के लिए जाति का नया निर्धारण कर दिया। इसमें किसान, महिला, युवा और पुरूष को ही चार जातियां बताकर अपनी हर सभा में प्रचारित करना शुरू कर दिया। विपक्षी गठबंधन ने इस चुनाव में जातिगत कार्ड खेलने का काम किया था। कांग्रेस के राहुल गांधी ने भी इसका जमकर प्रचार किया था। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने जाति जनगणना का जुमला भुला दिया।
भाजपा -RAM- फार्मूला बनाया है जीत के लिए। R-मतलब आरएसएस, A- मतलब अयोध्या और M- मतलब महिला व मुस्लिम।
आरएसएस अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव की कमान संभाल रखा है। संघ ने चुनाव पहले मार्च तक साढ़े तीन करोड़ लोगों को अयोध्या दर्शन का प्लान बनाया है। प्रत्येक 100 लोगों के दल में एक वरिष्ठ स्वयंसेवक होगा, जो पूरी यात्रा का समन्वय करेगा। अयोध्या में उनके रहने, खाने और दर्शन की उत्तम व्यवस्था होगी। इसके पीछे मंशा यह है कि लोग लौटकर अपने क्षेत्र में राम मंदिर की खूबियों को बताएं, या कहें तो एक तरह से सनातन के एंबेसडर बनकर काम करें। A -अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को जितना हो सके, उसमें प्रत्येक सनातनी की आहुति लगे, इसके लिए किसी ना किसी रूप में प्रत्येक हिन्दू परिवार को इससे जोड़ने का काम किया जा रहा है। चाहे वो अपने अपने क्षेत्रों में निकाली जा रही प्रभात फेरियां हो या फिर 22 जनवरी को दीवाली जैसा दीपोत्सव मनाने की बात हो। लोगों को दीये बांटे जा रहे हैं। हर किसी की जुबान पर राम जी करेंगे, बेडा पार, उदासी मन काहे को डरे………को चरितार्थ करना है।
M- फेक्टर के जरिए महिलाओं और मुस्लिमों को टारगेट पर रखा गया है। मोदी व भाजपा की जीत में महिलाओं का सबसे बड़ा योगदान है। महिलाओं के जिले, राज्य और देश व्यापी स्तर पर बड़े बड़े सम्मेलन करने की प्लान बनाया जा चुका है। जल्द ही इन्हें मूर्त रूप प्रदान किया जाएगा। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए बनाए गए कानून से महिलाओं को आगे निकालने का काम शुरू किया जा रहा है। मुस्लिमों को भी राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच के जरिए भाजपा के पक्ष में लाने का काम किया जा रहा है। मुसलमानों को बताया जा रहा है कि भाजपा के प्रति जो विपक्ष ने डर दिखाया है, वो मात्र वोटों की राजनीति का हिस्सा है। मिलकर देश का विकास करें।
देखने वाली बात यह है कि क्या विपक्ष भाजपा के -RAM- फार्मूले का तोड़ निकाल पाएगा? क्या सारे मिलकर एक साथ चुनाव लड़ पाएंगे? जबकि पूर्व की गठबंधन सरकारों की देश हालत देख चुका है। देश की जनता पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद विकास और विश्व में भारत के बढ़ते महत्व को समझ चुकी है, ऐसे में कहीं का रोडा, कहीं की ईंट से तैयार की जा रही इमारत को क्या बनने देगी?