इस समय अमरीका में Google पर Antitrust केस चल रहा है। इस केस में गूगल पर लगे आरोपों की सुनवाई हो रही है। इन आरोपों में कहा गया है कि गूगल मार्केट में अपनी मोनोपॉली बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है और इसकी वजह से प्रतियोगी कंपनियों, सरकार और आम यूजर को नुकसान हो रहा है।
दस हफ्ते चला Google का ट्रायल
दिग्गज टेक कंपनी के विरुद्ध U.S. Department of Justice में मामला चल रहा है था जहां दस हफ्तों में इसका ट्रायल पूरा हुआ। ट्रायल के फैसले को अभी होल्ड रखा गया है। ट्रायल को शुरूआत में सीक्रेट रखा जाना प्रस्तावित था। परन्तु न्यूज चैनल्स की अपील के चलते सुनवाई को ओपन कर दिया गया।
क्या एक्शन हो सकते हैं Google के खिलाफ
लीगल एक्सपर्ट्स के अनुसार ट्रायल के बाद जज गूगल को मोनोपॉली बनाने के लिए जिम्मेदार मान सकते हैं। वह कंपनी को दो हिस्सों में बांटने की, बिजनेस के नियम बदलने की या भारी भरकम जुर्माना देने की सजा दे सकते हैं। यह भी संभव है कि जज इनमें से कुछ भी न करें वरन कुछ अलग करें। खैर जो भी होगा, वह अपने आप में एक इतिहास ही होगा।
Microsoft के सत्या नडेला ने भी लगाया Google पर आरोप
माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला भी काफी समय से गूगल पर एकाधिकारवादी नीतियां फॉलो करने के आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना था कि गूगल मोटा पैसा देकर इंटरनेट पर पूरी तरह के कब्जा कर चुका है। उन्होंने Apple के साथ हुई गूगल की डील पर भी सवाल उठाए थे।
सुंदर पिचाई ने किया कंपनी का बचाव
इस पूरे मुद्दे पर बोलते हुए गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कंपनी का बचाव किया। उन्होंने कहा कि कंपनी इस तरह की नीतियों पर काम नहीं करती वरन यूजर के हित में काम कर रही है।
यह भी पढ़े: Google में आया Remove This Result फीचर, ऐसे करेगा आपका पर्सनल डेटा रिमूव
पहले भी हो चुका है ऐसा
गूगल जैसा केस अमरीकी इतिहास में पहली बार नहीं हुआ है। बल्कि पहले भी समय-समय पर ऐसा होता आया है। इसका सबसे बड़ा और चर्चित उदाहरण प्रख्यात अमरीकी उद्मी जॉन डी. रॉकफेलर की कंपनी Standard Oil का है। उस समय पूरे अमरीका के पेट्रोलियम बिजनेस पर इसी कंपनी का एकाधिकार था।
उस समय रॉकफेलर ने मार्केट में कॉम्पीटिशन को पूरी तरह से खत्म करने के लिए एक ट्रस्ट बनाया और सभी कंपनियों के साथ एक एग्रीमेंट पर साइन किए। जिसके बाद अमरीका में इस कंपनी का पूरी तरह के एक अकेला एकाधिकार हो गया। 1892 में इस कंपनी के खिलाफ अमरीकी सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चलाया गया।
मुकदमे की सुनवाई के बाद ट्र्स्ट को भंग कर एग्रीमेंट को कैंसिल किया गया। साथ ही कंपनी को भी हिस्सों में बांट दिया गया। इस तरह कंपनी का एकाधिकार समाप्त किया गया हालांकि बाद में भी कंपनी ने कई उठापटक करते हुए वर्चस्व बनाए रखने का प्रयास किया लेकिन 1911 तक आते-आते कंपनी का एकाधिकार पूरी तरह से समाप्त हो चुका था।