भारत की जनसंख्या में से लगभग 70 फीसदी लोग खेती करते हैं जिनके लिए अब E Mandi आ चुकी है। इन ई मंडियों से जुड़कर किसान फायदा उठा सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं ये ई-मंडियां क्या होती हैं, कैसे काम करती है और किसान इनसे कैसे जुड़ सकते हैं।
क्या होती है E Mandi
आपको बता दें कि E Mandi एक इलेक्ट्रॉनिक कृषि वेबसाइट होती है। यह भारत में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी को एक नेटवर्क में जोड़ती है। 2016 में ई-नाम योजना के जरिए मंडियों का डिजिटलीकरण करने की शुरुआत की गई थी। इस वेबसाइट का उद्देश्य एग्रीकल्चर उत्पादों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मार्केट मुहैया कराना है। बाजार उपलब्ध करवाना है। इसकी वजह से किसानों को उत्पादों का उन्हें ज्यादा और उचित दाम मिलता है। इस पोर्टल की सहायता से किसान घर बैठे ई-मंडियों में अपना सामान भी बेच सकते हैं।
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E Mandi की शुरूआत
ई-मंडी नाम की यह एक योजना है जिसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना था। यह ऑनलाइन मंडी किसानों और कृषि कारोबारियों के बीच जबरदस्त रूप से हिट हो रही है। आपको बता दें कि ई-मंडियों से अब तक 1.68 करोड़ किसान, व्यापारी और एफपीओ रजिस्टर्ड हो चुके हैं। दरअसल, भारत में किसी भी कृषि प्रोडक्ट को एक से दूसरे राज्य में बेचने की प्रोसेस थोड़ी जटिल हैं। इसी जटिल प्रोसेस से बचने के लिए अक्सर किसान अपनी फसल को कम कीमत पर बेच देते हैं।
आसान है E Mandi पर प्रोडक्ट बेचना
कृषि का पूरा गणित प्रोडक्ट्स के आस-पास घूमता है। जिस वजह से किसान अपने द्वारा उपजाए गई फसल को मंडी या मार्केट तक लेकर जाते है जो कि यह एपीएमसी के तहत आता है। इस मार्केट प्रणाली में सबसे अधिक समस्या किसानों या उत्पादकों को ही होती है। पहले किसानों को लंबी यात्रा करके अपनी फसलों को मार्केट लेकर जाना होता है। कई इसी प्रक्रिया में किसानों की कुछ फसल बर्बाद हो जाती थी। इतना ही नहीं बल्कि मंडी में किसानों के उत्पाद की ग्रेडिंग छंटाई और पैकेजिंग तक की जाती है। यहां पर एजेंट किसानों को कम कीमत पर सामान बेचने को कहते हैं। इस वजह से सीधे तौर पर विक्रेताओं के संपर्क में नहीं आ पाते। इस वजह से किसान एजेंट को ही अपने उत्पाद बेच देते हैं।
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ये हैं E Mandi के फायदे
E Mandi भारत के कृषि व्यापार के लिए एक अनूठी पहल है। यह कृषकों के लिए एक पोर्टल है जिस पर कोई भी किसान अपने प्रोडक्ट की डिटेल अपलोड कर सकता है। इसके बाद वो देश के किसी भी कोने में किसी भी खरीददार को अपना प्रोडक्ट बेच सकता है।
इतने लोग जुड़ चुके
इस योजना का शुरूआत वर्ष 2016 में 21 मंडियों के साथ की गई थी। साल 2020 तक इस मार्केट से 18 राज्यों के 1,66,06,718 किसान, 977 FPO, 70,910 कमीशन एजेंट और 1,28,015 व्यापारी कनेक्ट हो चुके थे।