White Labeling: बिजनेस करने के कई तरीके हैं लेकिन जिस तरीके में इंवेस्टमेंट कम और प्रोफिट ज्यादा हो, वही चुनना चाहिए। व्हाईट लेबलिंग भी एक ऐसा ही बिजनेस है, जिसमें आप बिना ज्यादा माथापच्ची किए अच्छा पैसा कूट सकते हैं। जानिए क्या है व्हाईट लेबलिंग और कैसे फायदेमंद है?
क्या है White Labeling?
मैनेजमेंट की भाषा में कहा जाए तो अपना पूरा का पूरा काम ही आउटसोर्स कर देना व्हाईट लेबलिंग कहलाता है। आसान भाषा में कहें तो किसी थर्ड पार्टी से बना-बनाया सामान खरीदकर उस पर अपना लेबल चिपका कर बेचना व्हाईट लेबलिंग कहलाता है। आज दुनिया भर की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां इसी फॉर्मूले पर काम करती हैं। दूसरी कंपनियों की बात करें तो Red Bull और Boat भी इसी तरीके से पैसा कमा रहे हैं।
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क्या फायदे हैं व्हाईट लेबलिंग के
देखा जाए तो व्हाईट लेबलिंग के बहुत सारे फायदे हैं। इनमें से सबसे पहला फायदा तो यही है कि बिजनेस स्टार्ट करने के लिए आपको ज्यादा पैसा इंवेस्ट करने की जरूरत नहीं होती है। न तो मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगानी है और न ही कोई मशीन वगैरह खरीदनी है। सब कुछ पहले से रेडीमेड माल लेकर सिर्फ उसकी मार्केटिंग करनी है। इस तरह आपका पैसा केवल मार्केटिंग पर ही खर्च होता है और मुनाफा प्रोडक्ट पर मिलता है।
एम्प्लॉई हायर नहीं करने होते
आमतौर पर आप कोई भी बिजनेस स्टार्ट करें, उसके लिए आपको स्टाफ भी हायर करना होता है। आपका काम चलें, न चलें, आपको उन्हें हर महीने सैलरी देनी ही होती है। लेकिन व्हाईट लेबलिंग में ऐसा नहीं होता। आपको जब जरूरत हो, तैयार माल खरीद कर बेच सकते हैं। आपको हर महीने सैलरी देने की भी टेंशन नहीं होती।
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भविष्य की चिंता भी नहीं
यदि किसी कारण से काम बंद भी हो जाए तो ज्यादा पैसा नहीं फंसता, न तो खरीदी हुई मशीनें वापिस बेचने का झंझट होता है और न ही स्टाफ को हटाने की टेंशन होती है। आपका केवल उतना सा पैसा फंसता है जितने का माल खरीदा है और जितना पैसा मार्केटिंग में खर्च किया है। यही वह वजह है कि बहुत से स्मार्ट बिजनेसमैन व्हाइट लेबलिंग पैटर्न को फॉलो करते हैं।