वैज्ञानिकों ने पहली बार एक काइमेरा बंदर (chimera monkey) बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इस बंदर के पंजों की अंगुलियां रात के अंधेरे में चमकती हैं और इसकी आंखें भी हरे रंग की हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग के जरिए दो अलग-अलग डीएनए को मिलाकर एक बनाया है।
“Scientists create 'Frankenstein' chimera monkey that glows green”
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— Brian Roemmele (@BrianRoemmele) November 9, 2023
Scientific Journal Cell जर्नल में छपे एक रिसर्च लेख “Live birth of chimeric monkey with high contribution from embryonic stem cells” में यह जानकारी दी गई है। आर्टिकल के अनुसार चीनी वैज्ञानिकों ने इस खोज को अंजाम दिया है।
सिर्फ 10 दिन बाद दे दी गई काइमेरा बंदर को इच्छामृत्यु
लेख में इस संबंध में पूरी जानकारी दी गई है। इस बंदर को साउथईस्ट एशिया में पाए जाने वाले लंबी पूंछ के मकाऊ बंदर के जीन और डीएनए को एडिट करके बनाया गया है। हालांकि इस बंदर की उम्र अधिक नहीं थी। जन्म के मात्र दस दिन बाद ही इस बंदर को इच्छामृत्यु दे दी गई। ये बंदर काफी लंबे समय से मानव साहचर्य के आदी हो चुके हैं।
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न्यूरोडिजनरेटिव बीमारियों के इलाज में काम आएगी Chimera Monkey की रिसर्च
वैज्ञानिकों की यह खोज आने वाले समय में न्यूरोडिजनरेटिव बीमारियों का इलाज करने में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। इसके जरिए जीन और डीएनए को एडिट करके रोगों को दूर किया जा सकेगा। खास तौर पर असाध्य बीमारियों जैसे कैंसर और एड्स का इलाज भी ढूंढा जा सकेगा।
आपको बता दें कि Chimera Monkey दुनिया का पहला आर्टिफिशियल जीव नहीं है बल्कि 1960 में पहली बार जीन एडिटिंग के जरिए आर्टिफिशियल चूहों को जन्म दिया गया था। आज दुनियाभर में इसके जरिए बहुत की बीमारियों का इलाज ढूंढा जा रहा है।
इसे काइमेरा नाम क्यों दिया गया?
ग्रीक माइथोलॉजी के अनुसार काइमेरा एक काल्पनिक प्राणी है। इसका शेर जैसा शरीर, बकरी जैसा मुंह और सांप जैसी पूछ है। आधुनिक विज्ञान की बात करें तो दो अलग-अलग प्रजातियों को मिलाकर पैदा किए गए हाईब्रिड जीव को जन्म दिया जाता है।