Benefits of eating papaya: पपीता स्वाद ही नहीं सेहत के लिए भी बहुत अच्छा होता है। इसकी खेती करने वालों के लिए ये बहुत फायदे का सौदा है। उष्ण एवं शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में होने वाला ये फल बहुत फायदेमंद होता है। झारखंड के साथ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, असम, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तरांचल में पपीते की खेती की जाती है। इन सभी जगह पपीते की किस्मों को उगाया जाता है। पपीते को काटकर खाने के साथ ही कई अन्य तरहों से भी उपयोग में लिया जाता है। इसका उपयोग जैम, पेय पदार्थ, आइसक्रीम और सीरप बनाने के काम में किया जाता है।
कच्चा फल भी होता है काम का
पपीते के कच्चे फल को सब्जी के रूप में भी उपयोग लिया जाता है। इसे काटकर इसकी सब्जी और आचार भी बनाया जाता है। Benefits of eating papaya पपीते के पत्ते को भी सब्जी के रूप में काम में लिया जाता है।
Angoor ki Kheti से कैसे बने लखपति, जानिए तरीका
स्किन प्रॉडक्ट्स में भी उपयोग
पपीते के आधे पके फलों से पपेन तैयार होता है। ये पाचन में काफी सहायक माना जाता है। इस कच्चे भाग से ही कई तरह के सौन्दर्य प्रसाधन भी बनाए जाते हैं। इससे चेहरे पर चमक और स्किन टाइट होती है। यही नहीं इसका उपयोग माँस को मुलायम बनाने के काम में भी लिया जाता है।
ऐसे करें तुड़ाई
पपीते के पूरे पके फलों में भी जब शीर्ष का भाग पीला होने लगे तो डंठल सहित इसकी तुड़ाई की जाती है। इस समय ही एक आकार के फलों को अलग किया जाता है।
ये किस्में बनाती हैं मालामाल
वाशिंगटन का फल गोल से अंडाकार आकार का होता है। ये 20 सें.मी. लम्बा और 40 सें.मी. गोल होता है। वहीं हनीड्यू उत्तरी भारत की किस्म है। इसमें बीज कम होते हैं और स्वाद में बहुत अच्छा होता है। राँची किस्म से सी.ओ.-1 फल गोल एवं अंडाकार सुनहरे पीले रंग का होता है। जिसका गुद्दा नारंगी होता है। सी.ओ.-4 भी एक संकर प्रजाति का फल है। यह फल काफी दिनों तक सही रहता है। पूसा मेजिस्ट भी गोलाकार होता है और पूसा जायेन्ट डायोसियस प्रजाति से होता है। इसके फल एक मीटर की ऊँचाई पर होते हैं। पंत पपीता एक बौनी प्रजाति होती है। इसका एक फल 1 से डेढ़ किलो का होता है।
Papita Ki Kheti बना देगी लखपति, बस जान लें सही तरीका
ऐसा हो मौसम
Benefits of eating papaya पपीते की खेती में उष्णकटिबन्धीय जलवायु लाभ की मानी जाती है। यह गर्मी सहन करने में सक्षम होता है। पाला पड़ने से फसल प्रभावित होती है। इसलिए जहां पाला पड़ता हो वहां इसकी खेती करनी चाहिए।