दीवाली पर लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु के बजाय गणपति की पूजा
होती है।
शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने के पीछे भी एक अत्यन्त विशेष कारण है।
लक्ष्मीजी का जन्म समुद्र मंथन के समय सागर से हुआ है। वह समुद्र की पुत्री हैं।
वह इस पूरे ब्रह्माण्ड में मौजूद समस्त प्रकार की धन-संपदा की स्वामिनी हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष अत्यन्त कंजूस माने गए हैं।
ऐसे में मां लक्ष्मी ने गणपति को अपना साथी चुना
और उन्हें धन वितरण की जिम्मेदारी दी।
गणपति अपने भक्तों को धन के उपयोग के लिए सदबुद्धि भी साथ में देते हैं।
धन के साथ सदबुद्धि तथा सौभाग्य पाने के लिए ही गणपति पूजा की जाती है।
यही कारण है कि दीवाली पर मां लक्ष्मी के साथ गणपति की पूजा की
जाती है।